देहरादून: जोशीमठ का खतरा अभी टला भी नहीं कि पास का ही एक गांव फिर से धंसना शुरू हो गया है। पिछले 1 महीने से यह गांव लगातार दरक रहा है। जिसकी शासन प्रशासन ने अभी तक सूद नहीं ली है। स्कूल पंचायत भवन के टेंट हाउस में चल रहा है और ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं।
खतरे की जद में जोशीमठ का पगनो गांव
जोशीमठ का पगनो गांव पिछले एक महीने से दरक रहा है। जो भूस्खलन की चपेट में पूरी तरह से आ गया है। और गांव में मालवा आने का सिलसिला लगातार जारी है। गांव में प्राइमरी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। अब नौनिहाल पंचायत भवन के टेंट हाउस में पठन-पाठन को मजबूर हैं। कई परिवारों के आशियाने जमीदोज हो चुके हैं और कुछ परिवारों के मकान खतरे की जद में है, जबकि गांव में भगवान महादेव का प्राचीन मंदिर भी भूस्खलन की चपेट में आ गया है। आपदा पीड़ित परिवार शासन प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। पीड़ित परिवारों के पास खाद्यान्न सामग्री भी खत्म होने के साथ ही बुखमरी की कगार पर है। इस मानसून सीजन में पीड़ित परिवारों के मवेशी भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं। उधर पीड़ितों का रो रो कर बुरा हाल है। पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि वह आखिर जाए तो जाएं कहां।
ज्ञापन सौंप कर की मांग।
इस गंभीर प्रकरण को लेकर जोशीमठ बचाव संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी को ज्ञापन सौंपा। अतुल सती ने बताया कि पगनो गांव का अस्तित्व कभी भी समाप्त हो सकता है। गांव में अभी तक राहत सामग्री नहीं पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर के माध्यम से पगनो में राहत सामग्री पहुंचाई जाए। उन्होंने यह मांग भी की है कि गांव का जल्द से विस्थापन किया जाए। बताया कि यदि सरकार इन विषयों पर गंभीरता से नहीं सुनती है तो मामले में धरना भी दिया जाएगा।
पक्ष-विपक्ष का वार-पलटवार।
उधर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया है। विपक्ष का कहना है कि जोशीमठ को लेकर जिन आठ संस्थाओं ने सर्वे किया था उसकी रिपोर्ट भी सरकार ने अभी तक सार्वजनिक नहीं की है, वही सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर सरकार जोशीमठ में क्या छुपाना चाहती है। आरोप लगाया है कि सरकार सत्ता के मद में मदमस्त है और आपदा से लोग त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे हैं। वहीं बीजेपी का कहना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपदा को लेकर गंभीर हैं खासतौर पर जोशीमठ आपदा पीड़ितों को राहत पहुंचाई गई है और अब पगनों गांव की स्थिति पर भी मुख्यमंत्री नजर बनाए हुए हैं। साथी अधिकारियों को भी दिशा निर्देश दिए गए हैं।
जोशीमठ की रिपोर्ट अभी तक नहीं हुई सार्वजनिक।
जोशीमठ आपदा के बाद सरकार ने प्रदेश के तमाम शहरों के धारण क्षमता की जांच करने को लेकर मीडिया को सुर्खियां बटोरी थी, वह भी अब ठंडे बस्ते में पड़ती हुए दिखाई दे रही है। साथ ही जो जोशीमठ को लेकर आठ संस्थाओं ने सर्वे किया था, वह भी अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। हालांकि इसके बीच जोशीमठ के पगेनो गांव के लोग दहशत में जी रहे हैं और रो-रो कर अपना हाल बयां कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब सरकार सहायता के नाम पर लाख दावे कर रही हैं। पगनो गांव के पीड़ितों की समस्या का समाधान कब होगा यह भगवान भरोसे है। लेकिन इतना तय है की जोशीमठ के बाद अब पगनो गांव भी बर्बादी के कगार पर आ गया है। सरकार ने यदि समय रहते सूद नहीं ली तो ग्रामीणों के हाल बद से बत्तर हो जाएंगे।