नीतीश-तेजस्वी के बीच चुनावी शह-मात
बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की तैयारी तेज है, जबकि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव दबाव में नजर आ रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर जिस तरह कांग्रेस सक्रिय दिख रही है, उसने सियासी हलचल को और तेज कर दिया है।
2010 का ‘खेला’ फिर से?
2010 के चुनाव में कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और करारी हार झेली थी। 2025 में एक बार फिर कांग्रेस उसी राह पर चलती नजर आ रही है। हालांकि, इस बार रणनीति थोड़ी बदली है—बात कम और तैयारी ज्यादा। क्या यह आत्मविश्वास का संकेत है या एक और सियासी जुआ?
कांग्रेस की आक्रामक तैयारी
कांग्रेस ने सबसे पहले चुनावी मोर्चा संभाला है। प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी राजेश राम को देकर पार्टी ने दलित कार्ड खेला है। साथ ही, राहुल गांधी के दौरे और पिछड़ी जातियों के नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाए जाने से साफ है कि कांग्रेस अब कोर वोट बैंक की तलाश में है।
राजद के लिए चुनौती
महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद के लिए कांग्रेस की यह रणनीति परेशानी बढ़ा सकती है। अगर कांग्रेस सीटों पर दबाव बनाती है या सभी सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो यह तेजस्वी यादव की राह में रोड़े डाल सकता है। ऐसे में दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बड़ा टकराव हो सकता है।
नए चेहरों की एंट्री
बिहार की राजनीति में इस बार कई नए खिलाड़ी भी मैदान में हैं। जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर और ‘हिंद सेना’ के शिवदीप लांडे ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। इससे मुकाबला त्रिकोणीय ही नहीं, चतुष्कोणीय भी हो सकता है।