पिथौरागढ़ में दोपहर के समय महसूस हुए झटके
रविवार, 27 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में अचानक धरती डोलने लगी। दोपहर करीब 3:34 बजे धारचूला से लेकर बंगापानी क्षेत्र तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। धरती हिलते ही लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए। स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि राहत की बात यह रही कि इस भूकंप से किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है।
रिक्टर स्केल पर 3.1 रही भूकंप की तीव्रता
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई। यह तीव्रता हल्की श्रेणी में आती है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में इस तरह के झटके भी लोगों के मन में डर पैदा कर सकते हैं। भूकंप का केंद्र धारचूला तहसील के ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित था और इसकी गहराई जमीन के अंदर पांच किलोमीटर बताई गई है।
लोगों में डर का माहौल
भूकंप के झटके महसूस होते ही धारचूला, बंगापानी और आसपास के गांवों में लोग अपने घरों से बाहर आ गए। कई जगहों पर लोग खुले मैदानों में जमा हो गए और कुछ समय तक वहीं डटे रहे। जिन घरों की संरचना कमजोर थी, वहां रहने वाले लोग विशेष रूप से भयभीत नजर आए। हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने जल्द ही स्थिति को नियंत्रण में लिया और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की।
प्रशासन ने ली स्थिति की जानकारी
भूकंप के बाद जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने इलाके की तुरंत समीक्षा की। क्षेत्रीय अधिकारियों ने गांवों और कस्बों में निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया कि कहीं कोई क्षति तो नहीं हुई। राहत की बात यह रही कि अब तक किसी भी प्रकार के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं आई है। प्रशासन की ओर से स्थानीय निवासियों को सतर्क रहने और आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
भूकंप का विज्ञान: क्यों आते हैं झटके?
भूकंप तब आता है जब पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं। उत्तराखंड एक भूकंपीय क्षेत्र (Seismic Zone) में आता है और हिमालय क्षेत्र की भौगोलिक संरचना के कारण यहां समय-समय पर हल्के से लेकर मध्यम तीव्रता तक के भूकंप आते रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे-छोटे झटके बड़े भूकंप के जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकते हैं, लेकिन सतर्कता जरूरी है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
भूकंप के तुरंत बाद धारचूला और बंगापानी क्षेत्र के लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। एक स्थानीय निवासी, सुरेश बोहरा ने बताया, “जैसे ही धरती हिली, हमें कुछ समझ नहीं आया। सब लोग बाहर भागे और काफी देर तक घरों में वापस जाने की हिम्मत नहीं हुई।” वहीं एक अन्य निवासी, कविता देवी ने कहा, “पहाड़ों में जब भी जमीन हिलती है तो डर और भी ज्यादा लगता है। हमने बच्चों और बुजुर्गों को पहले सुरक्षित जगह पहुंचाया।”
पिछले वर्षों में भी आए हैं ऐसे झटके
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हों। पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर और उत्तरकाशी जैसे जिलों में पहले भी 3 से 5 मैग्निट्यूड के भूकंप आते रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तराखंड के कई जिले उच्च भूकंपीय संवेदनशीलता वाले क्षेत्र में आते हैं, इसलिए यहां सतर्कता हमेशा जरूरी मानी जाती है।
सरकार और आपदा प्रबंधन की तैयारी
उत्तराखंड सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग समय-समय पर भूकंप से निपटने के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में भी ड्रिल्स कराई जाती हैं ताकि किसी आपदा के समय लोग घबराएं नहीं और सही कदम उठा सकें। अधिकारियों का कहना है कि भले ही इस बार नुकसान नहीं हुआ हो, लेकिन भविष्य में संभावित खतरों से बचाव के लिए तैयार रहना बेहद जरूरी है।
सुरक्षित रहने के लिए कुछ सुझाव
भूकंप के दौरान सुरक्षित रहने के लिए विशेषज्ञ कुछ सामान्य सुझाव देते हैं:
- झटके महसूस होते ही खुले स्थान पर जाएं।
- यदि घर के अंदर हैं, तो किसी मजबूत मेज के नीचे छिपें।
- खिड़कियों, शीशों और भारी फर्नीचर से दूर रहें।
- लिफ्ट का प्रयोग न करें।
- अफवाहों से बचें और केवल सरकारी स्रोतों से मिली जानकारी पर भरोसा करें।
पिथौरागढ़ जिले में आए 3.1 तीव्रता के भूकंप ने एक बार फिर याद दिलाया कि भले ही हम प्राकृतिक आपदाओं को रोक नहीं सकते, लेकिन सही जानकारी और सतर्कता से बड़े नुकसान से बच सकते हैं। इस बार कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सतर्क रहना और भूकंप से निपटने के उपायों की जानकारी होना भविष्य में हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।