पहल्गाम में हुआ आतंक का नंगा नाच
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहल्गाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस कायराना हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए, जबकि 17 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह हमला न केवल मानवीयता के खिलाफ था, बल्कि भारत की सहिष्णु और शांतिप्रिय संस्कृति पर सीधा हमला था।
प्रधानमंत्री मोदी का कड़ा कदम: सिंधु जल संधि पर रोक
हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकालीन सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय लिया गया — भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 से चली आ रही सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का फैसला किया। इसका सीधा अर्थ है कि अब पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी की आपूर्ति नहीं की जाएगी।
पानी नहीं, अब केवल सख्ती: सीएम धामी का समर्थन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह पाकिस्तान को एक ठोस और निर्णायक जवाब है। उन्होंने कहा, “पहल्गाम में हुआ हमला न केवल एक आतंकी कार्रवाई थी, बल्कि यह मानवता और हमारी सांस्कृतिक विरासत पर हमला था। इस प्रकार के हमलों का जवाब केवल निंदा से नहीं, बल्कि कठोर नीतियों से देना होगा।”
“खून और पानी साथ नहीं बह सकते” – भारत का स्पष्ट संदेश
सीएम धामी ने अपने बयान में जोर देते हुए कहा, “अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” यह एक सशक्त संदेश है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह और समर्थन देता रहेगा, तब तक भारत उसके साथ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतेगा। सिंधु जल संधि पर रोक इसी नीति का हिस्सा है।
अटारी बॉर्डर चेकपोस्ट भी बंद, पाकिस्तान को लगातार झटके
भारत सरकार ने सिर्फ सिंधु जल संधि पर ही नहीं, बल्कि अन्य कदमों पर भी विचार किया है। सूत्रों के अनुसार, अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए होने वाली व्यापारिक गतिविधियों पर भी रोक लगाई जा रही है। इन फैसलों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और रणनीतिक स्थिति पर सीधा असर पड़ेगा।
पाकिस्तान की बौखलाहट: परमाणु धमकी और घबराहट
भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। पूर्व पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भारत को धमकी दी कि अगर पानी रोका गया, तो खून बहेगा। उन्होंने परमाणु युद्ध की धमकी तक दे डाली। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब किसी भी प्रकार के आतंकवादी हमले को सहन नहीं करेगा और ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अडिग रहेगा।
सिंधु जल संधि: क्या है यह समझौता?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इस संधि के तहत भारत को व्यास, रावी और सतलुज नदियों का जल उपयोग करने का अधिकार मिला था, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के जल पर प्राथमिक अधिकार दिया गया था। भारत इस जल को बिना रोक के पाकिस्तान को देता आ रहा था, लेकिन अब यह परिस्थिति बदल रही है।
आतंक के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति
प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में सहन नहीं करेगा। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक के बाद अब यह जल नीति में बदलाव एक नया अध्याय है। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि कार्यवाही के लिए तैयार है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भारत पर
भारत के इस फैसले पर विश्व समुदाय की भी नजरें टिकी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अमेरिका जैसे बड़े देश इस पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं। हालांकि, इस समय भारत की जनता सरकार के साथ खड़ी है और प्रधानमंत्री मोदी के फैसले को बहादुरी भरा मान रही है।
पानी की बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान
भारत के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान के लिए आने वाला समय और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सिंधु नदी पर बन रही परियोजनाओं को अब और तेजी से पूरा किया जाएगा, ताकि पाकिस्तान पर निर्भरता समाप्त की जा सके। अब आतंक का समर्थन करने वाले देश को केवल निंदा नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।