उत्तरकाशी/बड़कोट: यमनोत्री नैशनल हाईवे पर प्रस्तावित ओजरी- स्यानाचट्टी टनल का स्थानीय लोग खासा विरोध करने लगे है। विरोध के स्वर तब उठे जब स्यानाचट्टी में SDM, ADM व एक्शन NH बड़कोट आपत्तियों से संबंधित कैंप कर रहे थे। इस संबंध में जब सत्ता संवाद ने स्थानीय लोगों से बात की, कि उन्हें टनल बनने से क्या आप्ति है। उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि टनल स्यानाचट्टी के ऊपर बंगले के पास निकल रही है, जिससे स्यानाचट्टी में बने होटल व्यवसाय पूरी तरह ठप होता नज़र आ रहा है। लोगों का यह भी कहना है कि बड़ी संख्या में स्यानाचट्टी में लोगों ने होटल बनाए हैं, जिसके लिए उन्होंने करोड़ों के लोन लिए है, ऐसे में यदि यह टनल स्यानाचट्टी के ऊपर बंगले नामे तोक में खुलती है तो वह करोड़ों के लोन कैसे चुकाएंगे। साथ ही स्थानीय छोटे व मंजोलिए व्यापारियों को खासा नुकसान होगा।

इन्हीं मामलों से संबंधित आपत्ति लगने के लिए चार गांव के लोग स्यानाचट्टी पहुंचे थे। जिसमें ओजरी, कुंसाला, तीर्खीली व कुपड़ा शामिल है। चारों गांव के प्रधानों ने विरोध का पत्र संबंधित अधिकारियों को सौंपा।
क्यों बन रही है ओजरी-स्यानाचट्टी टनल
यमुनोत्री नैशनल हाइवे पर स्यानाचट्टी के निकट डबरकोट में भूस्खलन प्रशासन के लिए सिर का दर्द बना हुआ है। खास तौर पर मानसून में आए दिन यह मार्ग भूस्खलन होने से बंद रहता है। जिससे स्थानीय लोग तो परेशान रहते ही हैं, इसके साथ यात्रा मार्ग भी पूरी तरह से बाधित रहता है। इससे निजात पाने के लिए ओजरी-स्यानाचट्टी टनल का निर्माण प्रस्तावित है।
स्थानीय लोगों की क्या है मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि टनल के बजाय सरकार डबरकोट भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का ट्रीटमेंट करती है तो इससे पैसे भी बचेंगे, साथ ही चार गांव के हजारों लोगों का रोजगार भी बना रहेगा। उनका कहना है कि इससे स्यानाचट्टी भी जुड़ा रहेगा जहां कई होटल बने हैं । स्थानीय लोगों का कहना है कि 2019 में तात्कालिक स्थानीय विधायक केदार सिंह रावत ने भी अपने पत्र में स्यानाचट्टी को जोड़ने की बात कही थी। जबकि इस संबंध में वह पहले केंद्रीय राज्य सड़क परिवहन मंत्री बीके सिंह से भी मुलाकात कर चुके हैं, मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि टनल से स्यानाचट्टी जुड़ी रहेगी।
बेलगाम अधिकारियों के भरोसे आपदा की जिम्मेदारी
इस मामले में जब सत्ता संवाद ने SDM से पूरा मामला जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि आप एक्शन NH बड़कोट डिविजन पंत से पूरा मामला जान सकते है। उन्होंने सत्ता संवाद को पंत का संपर्क सूत्र भी मुहैया किया। जब हमने इसको लेकर दिए गए नंबर पर कॉल की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। खबर को प्रकाशित किए जाने तक करीब डेढ़ घंटे बाद भी एक्शन एनएच बड़कोट डिविजन की कोई कॉलबैक नहीं आई। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आपदा काल में अधिकारियों का रवैया इस तरह का है कि वह न तो फोन उठाते हैं न ही कॉल बैंक करनी मुनासिफ समझते। ऐसे में धामी सरकार आपदाकाल में बेहतर व्यवस्था व तत्काल रिस्पॉन्स के लिए इन अधिकारियों के भरोसे बैठी है। जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देश हैं की सभी अधिकारी इसे चेतावनी समझे कि वह तत्काल प्रभाव से किसी भी घड़ी फोन रिसीव करें यदि वह उस समय व्यस्त हैं तो थोड़ी देर बाद बैक कॉल कर जानकारी लें।